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सरस्वती विद्या मन्दिर – शिक्षा पद्धति

भारतीय शिक्षा समिति से सम्बद्ध सरस्वती विद्या मन्दिर तथा विभिन्न नामों से हाई स्कूल एवं इन्टरमीडिएट कालेज, उत्तर प्रदेश में चल रहे हैं ! शिक्षा समिति ने कक्षा 8 तक की शिक्षा – प्रणाली में अभीप्सित सुधार कर उसका भारतीय आवश्यक्ताओं के अनुरूप एवं जीवनपयोगी स्वरूप विकसित किया है ! यह सरस्वती विद्या मन्दिर शिक्षा पद्धति के नाम से प्रचलित है ! इस अभिनव शिक्षा – पद्धति ने समाज एवं शिक्षा विदों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है ! बालकों की उत्तम शिक्षा,अनुशासन,शिष्टाचार एवं सद्संस्कारों के केन्द्रों के रूप में इन विद्या मन्दिरों को प्रतिष्ठा प्राप्त है !

 

पंचमुखी शिक्षा

सरस्वती विद्या मन्दिरों में बालक के सर्वांगपूर्ण विकास की द्रष्टि से पंचमुखी शिक्षा की व्यवस्था है ! पंचमुखी शिक्षा के निम्नलिखित अंग हैं –

 

1.शारीरिक शिक्षा

शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य शरीर को बलवान बनाना, उसकी शक्तियों और क्षमताओं का विकास करना, अवयवों स्नायुओं को विकसित करना तथा स्वच्छ एवं उचित आहार की आदत डालना है इसके अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के व्यायाम, योगासन, प्राणायाम, नाना प्रकार के आधुनिक और प्राचीन भारतीय खेल ,दौड़, कूद,फेंक, संचालन तथा स्काउटिंग आदि कार्यक्रमों का क्रम निश्चित है ! साथ ही स्वास्थ्य विज्ञान के रूप में सैद्धान्तिक पक्ष का ज्ञान भी छात्रों को कराया जाता है !

 

2.व्यावसायिक शिक्षा

इसके अंतर्गत छात्रों को उत्पादन कार्य सिखाना है ! अपने हाथ से कुछ निर्माण करना है जैसे अभ्यास पुस्तिकायें , फाइल कवर, चाक, स्याही डस्टर, मोमबत्ती, साबुन, कागज, मिटटी,माँ तथा प्लास्टर ऑफ पेरिस के खिलौने बनाना, फोटोग्राफी, बागवानी तथा कृषि !
व्यावसायिक शिक्षा का मुख्य लक्ष्य छात्रों में हाथ से काम करने की रूचि का विकास करना एवं श्रम के प्रति आदर भाव जाग्रत करना है जिससे वे भविष्य में उत्पादन कार्यों में अपनी भूमिका कुशलतापूर्वक निभा सकें !

 

3. मानसिक शिक्षा

इसमें विभिन्न विषयों की शिक्षा का समावेश किया गया है ! ये विषय हैं –(1) हिन्दी (2) संस्कृत (3) अंग्रेजी (4) गणित (5) विज्ञान (6) सामजिक विषय (7) शिल्पकला/ कृषि विज्ञान (चित्रकला/वाणिज्य/संगीत) शारीरिक एवं योग शिक्षा (1) नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा !
मानसिक शिक्षा का उददेश्य इन विभिन्न विषयों का ज्ञान कराना तथा बालक की निर्णय, कल्पना, स्मृति निरीक्षण, विश्लेषण संश्लेषण तुलना , अनुमान,निष्कर्ष आदि मानसिक शक्तियों का विकास करना है !

 

4. नैतिक शिक्षा

मनुष्य का शारीरिक एवं मानसिक विकास नैतिक शिक्षा के आधार के बिना सामजिक जीवन के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है ! अत: सरस्वती विद्या मन्दिर शिक्षा पद्धति में नैतिक शिक्षा को मत्वपूर्ण स्थान दिया गया है ! नैतिक शिक्षा ह्रदय की शिक्षा है इसके द्वारा छात्रों में स्वधर्म, स्वसंस्कृति एवं स्वदेश के प्रति सक्रिय निष्ठा एवं ज्ञानयुक्त भक्तिभाव जागृत करना है ! बालक के अन्त: करण में सत्यनिष्ठा, कर्तव्य परायणता, परोपकार,सेवा,प्रेम,नि:स्वार्थता,ब्रह्मयोगवृति,साहस,अनुशासन,शिष्टाचार आदि सद्गुणों का विकास करना है !

 

5. आध्यात्मिक शिक्षा

शारीरिक, व्यावसायिक, मानसिक एवं नैतिक शिक्षा जीवन के विकास के लिए आवश्यक है परन्तु यह जीवन किस लिए ? अथार्त जीवन का उददेश्य क्या है ? इसके समाधान के लिए आध्यात्मिक शिक्षा आवश्यक है ! भारतीय जीवन दर्शन के अनुसार इस समस्त चराचर जगत में एक शाश्वत,चेतन सत्ता परमात्म तत्व विराजमान है जो इस जगत का नियंता है ! वही आत्मा के रूप में प्रत्येक व्यक्ति के भीतर स्थित है !इस आत्मतत्व की अनुभूति एवं अभिव्यक्ति करना तथा परमात्म तत्व अथार्त चराचर जगत के साथ एकात्मभाव स्थापित करना ही जीवन का परम लक्ष्य है ! आध्यात्मिक शिक्षा के द्वारा बालक को इस जीवन लक्ष्य का बोध कराना तथा उसके मानस पर आत्मा तथा परमात्म तत्व के उक्त भाव संस्कार के रूप में अंकित करना है !

 

6. पाठ्य – क्रम

उत्तर प्रदेश राज्य शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा 6,7,8 के हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामजिक विषय, शिल्पकला/कृषि/चित्रकला/वाणिज्य/संगीत विषयों का पाठ्यक्रम तथा प्रथम सात विषयों की पाठ्य पुस्तकें निर्धारित हैं ! भारतीय शिक्षा समिति द्वारा यह पाठ्य पुस्तकें तथा पाठ्यक्रम अपनाया गया है ! इसके अतिरिक्त शारीरिक शिक्षा, नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा इन दो विषयों का पाठ्यक्रम अपना निर्धारित किया है ! इन विषयों की पाठ्य पुस्तक भी तैयार कराने का प्रयास चल रहा है !
उपयुक्त पाठ्यक्रम प्रकाशित किया गया है ! इस पाठ्यक्रम की एक विशेष बात उल्लेखनीय यह है कि प्रत्येक विषय के पाठ्यक्रम को पांच इकाइयों में अध्यापन की सुविधा की दृष्टि से विभाजित किया गया है ! प्रत्येक इकाई का मूयांकन दो मासिक परीक्षाओं ,अर्द्ध वार्षिक तथा वार्षिक परीक्षा के माध्यक्रम से किया जायेगा !